डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल 2023: डिजिटल धोखाधड़ी की खबरें अक्सर मीडिया में आती रहती हैं। बढ़ती आनलाइन ठगी और धोखाधड़ी पर लगाम लगाने के लिए केन्द्र सरकार संसद में एक महत्वपूर्ण विधेयक लेकर आयी है। हालांकि संसद के मौजूदा मानसून सत्र में हंगामों के बीच कई आवश्यक विधेयक अधर में लटके नज़र आ रहे हैं, इन्हीं विधेयकों में से वह ‘डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल-2023’ भी है जो संसद में शोर की भेंट चढ़ता नज़र आ रहा है।
डिजिटल युग में इश्क मोहब्बत की कहानियाँ सोशल मीडिया बढ़ती जा रही हैं। प्रेमी की तलाश में देश की सरहदों तक के माइने खत्म होते जा रहे हैं। लोन ऐप के ज़रिये लोन देकर उनका शोषण किया जा रहा है यहाँ तक कई परिवार को आत्महत्या तक के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। सेक्सटॉर्शन, कैट फिशिंग जैसी घटनाएं मानसिक, आर्थिक, भावनात्मक, और शारीरिक तौर पर आघात दे रही हैं। ऐसे माहौल में इस विधेयक का पास होना, एक सोशल सिक्युरिटी को नई उम्मीद दे सकता है।
डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल 2023
बता दें पहली बार इस विधेयक को दिसंबर 2019 में पेश किया गया था, परंतु विभिन्न स्टेक होल्डर और एजेंसियों से सुझाव और आपत्तियां मिलने के बाद इसे वापस ले लिया गया था। सरकार ने पिछले नवंबर में नया ड्राफ्ट तैयार कर एक सार्वजनिक परामर्श शुरू किया था। जनता, 46 विभिन्न संगठनों और 38 सरकारी मंत्रालयों से प्राप्त सुझावों के आधार पर अब इसकी रूपरेखा तैयार है। डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल-2023, केंद्र द्वारा बनाए जा रहे प्रौद्योगिकी नियमों के व्यापक ढांचे का एक महत्वपूर्ण स्तंभ है, जिसमें डिजिटल इंडिया विधेयक, भारतीय दूरसंचार विधेयक, 2022 का मसौदा, और गैर-व्यक्तिगत डेटा प्रशासन के लिए नीतियों का उल्लेख है। आगामी डिजिटल इंडिया बिल भारत के मौजूदा सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम (IT Act) 2000 को प्रतिस्थापित करेगा।
यह नया कानून भारत के डिजिटल दुनिया पर व्यापक निगरानी स्थापित करने के लिए बनाया गया है। यह प्रस्तावित विधेयक इंटरनेट प्लेटफ़ॉर्म, ऑनलाइन सुरक्षा और आर्टिफिसियल एंटेलिजेंस (Ai) के नकारात्मक प्रभाव के बीच साइबर अपराध, डेटा सुरक्षा, डीपफेक, प्रतिस्पर्धा जैसी चुनौतियों से प्रभावी ढंग से निपटता है।
ऐसे में इस विधेयक का उद्देश्य इंटरनेट कंपनियों, मोबाइल ऐप और व्यावसायिक संस्थाओं को “गोपनीयता के अधिकार” के हिस्से के रूप में नागरिकों के डेटा के संग्रह, भंडारण और प्रसंस्करण के बारे में अधिक जवाबदेह बनाना है। एक बार स्वीकृत होने के बाद, सार्वजनिक और निजी दोनों तरह की कई संस्थाओं को अपना डेटा एकत्र करने के लिए उपयोगकर्ताओं से सहमति लेने की आवश्यकता होगी। इसका मतलब यह है कि प्रत्येक उपभोक्ता की निजता के अधिकार को अधिक महत्व दिया जाएगा और उनका डेटा पहले की तुलना में अधिक सुरक्षित रखा जाएगा।
साइबरबुलिंग व कैट फिशिंग के मामले
भारत में बच्चों के साथ साइबर बुलिंग के मामले काफी देखने को मिले हैं। साइबरबुलिंग में कोई व्यक्ति इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों का उपयोग करके दूसरों को धमकाता है। ‘कैट फिशिंग’ या ‘डूपिंग’ में सोशल मीडिया पर कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति की फोटो और जानकारी चुराकर फेक एकाउंट बनाता है। कई बार ऐसे फर्जी अकॉउंट से पैसों की मांग और सेक्स चैट जैसी बातें करके व्यक्ति के चरित्र और सामाजिक प्रतिष्ठा का हनन किया जाता है। ऐसे में पीड़ित व्यक्ति समझ ही नहीं पाता कि कौन कहाँ से कैसे ये सब कर रहा है।
डिजिटल दुनियाँ में व्यक्ति विशेष भी अपनी जिम्मेदारी समझे
डिजिटल दुनियाँ से जुड़े व्यक्ति की सुरक्षा सरकार की जिम्मेदारी है परंतु स्वयं को किसी संकट से बचाने की जवाबदेही हर उस व्यक्ति की भी होती है। ऐसे हर व्यक्ति को समझना होगा कि जिस लोन को मिलने की प्रक्रिया काफी जटिल है उसे कोई ऐप इतनी सरलता से कैसे दे देता है। किसी से चैट करते समय हमे अपने निजी विवरणों या फोटोग्राफ को शेयर करने से भी बचना चाहिए। आज बच्चे बेहिचक इंटरनेट का उपयोग कर रहे हैं लेकिन उन पर परिवार वालों की कड़ी निगरानी होनी चाहिए है। किसी भी ऐप को कांटैक्ट लिस्ट, कैमरा, मेसेज, फ़ोटोज़ आदि के लिए परमिशन देने से पहले अपनी डिजिटल सुरक्षा को भी ध्यान में जरूर रखें। प्रस्तावित विधेयक जब पारित होगा तो वह हमारे साथ धोखाधड़ी हो जाने पर कानूनी मदद जरूर देगा लेकिन धोखाधड़ी न हो इसके लिए तो हमें ही सतर्क रहने की जरूरत होगी।
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