नई दिल्ली। मोदी सरकार ने देश के करोड़ों कर्मचारियों को बड़ा झटका दिया है। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) ने अपने ब्याज दर में कटौती की है। अब पीएफ अकाउंट में जमा राशि पर 8.5% ब्याज की जगह सिर्फ 8.1 प्रतिशत ब्याज मिलेगा। ये चार दशकों की सबसे कम ब्याज दर है। इससे पहले 1977-78 में ईपीएफ की ब्याज दर 8 फीसदी थी।
लगभग 6 करोड़ कर्मचारी होंगे प्रभावित
रिपोर्ट्स की माने तो EPFO के सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टी ने पीएफ खाते पर मिलने वाला ब्याज घटा दिया है। उन्होंने अब 8.5 प्रतिशत की जगह 8.1 प्रतिशत ब्याज देने का फैसला लिया है। ये 40 साल की सबसे कम ब्याज दर है। जल्द ही इस पर वित्त मंत्रालय भी अपनी मंजूरी दे देगा। इस फैसले से देशभर के 6 करोड़ से ज्यादा कर्मचारी प्रभावित होंगे।
यह भी पढ़ें: PPF vs SIP, क्या पीपीएफ लंबे समय में एसआईपी से बेहतर है?
क्या होता है PF?
कर्मचारियों के रिटायरमेंट के बाद के जीवन को सुरक्षित करने के लिए सरकार ने कर्मचारी भविष्य निधि संगठन का गठन किया था। इसके तहत सभी ऑनरोल कर्मचारियों का PF अकाउंट होना अनिवार्य होता है। इस खाते में सैलरी का एक निश्चित हिस्सा जमा किया जाता है। उतना ही पैसा कंपनी भी उसी खाते में जमा करती है। जिस पर हर साल सरकार की ओर से तय ब्याज मिलता है। और जब कर्मचारी रिटायर होता है या फिर नौकरी छोड़ता है तो वो पीएफ अकाउंट से सारा पैसा निकाल सकता है।
पिछले कुछ सालों की ये थी दर
वित्त-वर्ष 2019-20: 8.5%
वित्त-वर्ष 2020-21: 8.5%
वित्त-वर्ष 2018-19: 8.65%
वित्त-वर्ष 2017-18: 8.55%
वित्त-वर्ष 2016-17: 8.65%
वित्त-वर्ष 2015-16: 8.8%
जल्द ही वित्त मंत्रालय करेगा समीक्षा
बता दें कि सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टी एक त्रिपक्षीय इकाई है। जिसमें सरकार, कर्मचारी और नियोक्ता संगठन के प्रतिनिधि शामिल होते हैं, और भारत सरकार के अधीन श्रम-मंत्री इसकी अध्यक्षता करते हैं। जब भी सीबीटी कोई फैसला लेता है, तो EPFO को उसे मानना अनिवार्य होता है। हालांकि अभी वित्त मंत्रालय द्वारा इस फैसले की समीक्षा करना बाकी है, और ये समीक्षा जल्द ही पूरी की सकती है। उसके बाद ही इस पर फैसले पर अंतिम मुहर लग जाएगी।
राष्ट्रबंधु की नवीनतम अपडेट्स पाने के लिए हमारा Facebook पेज लाइक करें, YouTube पर हमें सब्सक्राइब करें, और अपने पसंदीदा आर्टिकल्स को शेयर करना न भूलें।